Date
10-Aug-2017 to 10-Aug-2017
Location
थियोसिफिकल लाॅज, चंद्रलोक चौक, मुजफ्फरपुर
Format
Local

वर्ष 2011 कीे जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अनियमित बस्तियों में बिहार की कुल जनसंख्या के 10.53 प्रतिशत लोग निवास करते हैं। और यदि इसे राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाये तो बिहार की अनियमित बस्तियों में भारत की 1.9 प्रतिशत आबादी निवास करती है । इन अनियमित बस्तियों में बुनियादी सुविधाएं जैसे-पीने का पानी, शौचालय, नाली और स्वच्छता का अभाव रहता है। इन बुनियादी सुविधाओं तक सहज पहुंच बनाने के लिए यहां रहने वाले लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ता है।

बुनियादी सुविधाओं के अभाव का एक मुख्य कारण आवास या भूमि के मालिकाना हक की स्थिती में अस्पष्टता भी है। NSSO के 69वें रांउड (2012) के सर्वेक्षण के अनुसार पूरे भारत में 44 प्रतिशत स्लम निजि भूमि पर तथा 54.7 प्रतिशत स्लम सरकारी जमीन पर स्थित हैं। यही कारण है कि अनियमित बस्तियों (स्लम) के निवासियों को अक्सर इस डर के साए में रहना पड़ता है कि जिस जगह पर वे निवास कर रहे हैं वह छिन सकता है। उजड़ने का डर हर पल उन्हें सताता रहता है। स्लम को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर शहरी विकास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने 2001 में राष्ट्रीय नीति तैयार की थी। हालंाकि इतने साल गुजर जाने के बाद भी यह नीति अभी तक प्रारूप के स्वरूप में ही है, लेकिन यह राज्यों में एवं स्थानीय निकायों के स्तर पर कार्य करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करती है। इसी नीति को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने बिहार राज्य मलीन बस्ती नीति 2011 बनाई। नीति में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि -

मुजफ्फरपुर शहर को इस नीति के चश्मे से यदि देखते हैं तो कोई स्पष्ट कार्ययोजना नहीं दिखाई देती है। इसी प्रकार हाल के दिनों में स्मार्ट सिटी तथा अन्य शहरी कार्यक्रमों को लेकर योजनाऐं बनाई जा रही हैं, लेकिन इन योजनाओं मंे शहरी गरीबों के आवास या भूमि की बात नहीं कही गई है।

वहीं दूसरी ओर बिहार राज्य मलिन बस्ती नीति 2011 में इस बात को स्पष्टतापूर्वक कहा गया है कि स्थानीय नगर निकाय इस नीति के आलोक में ही अपने यहां स्लम वासियों के समग्र विकास के लिए कार्यक्रम बनायेेंगे। नीति में साफ उल्लेख है कि स्लम जहां बसे हुए है उनकी भूमि की प्रकृति कुछ भी हो बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी स्थानीय नगर निकाय की होगी।

इस नीति को लागू करने का आशय था कि बढ़ते शहरीकरण के बीच यहां नगरों में बड़ी संख्या में स्थित झुग्गियों व मलिन बस्तियों में रहने वाले गरीब लोगों का सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार हमेशा कृतसंकल्प रहेगी। उस समय कहा गया कि मलिन बस्तियों के विकास के सतत उत्थान के लिए एक वैधानिक एवं नीतिगत ढांचा प्राप्त करना आश्वयक है। राज्य की मलिन बस्ती नीति इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति के माध्यम से सरकार ने मलिन बस्तियों की परिभाषा से लेकर उनमें न्यूनतम सुविधाएं प्रदान करने तथा गरीब तबकों, खासकर महिलाओं, की पूर्ण सहभागिता सुनिश्चित करने संबंधी सभी आवश्यक दिशा-निर्देश इंगित किए हैं।

लेकिन वास्तविकता से दूर मुजफफरपुर शहर के 49 वार्डों में स्थित 123 अनियमित बस्तियां एक ओर जहां मूलभूत बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर जमीन व आवास के मालिकान हक के लिए उनकी लड़ाई आज भी जारी है। यह अपने आप में देखने वाली बात है कि इनमें से अधिकतर बस्तियां पिछले 100 सालों से बसी हुई है फिर भी उनके पास जमीन का न मालिकाना हक है और न ही आवास की सुविधा। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य इन अनियमित बस्तियों ें में रहनेवालों के लिए जमीन और आवास के मालिकाना हक लिए संवैधानिक एवं अन्य संस्थाओं की भूमिका का आंकलन करना है।